Special Investment zone in UP: उत्तर प्रदेश अब निवेश, निर्माण व निर्यात बढ़ाने के मकसद से अपने यहां चार बड़े विशेष निवेश क्षेत्र बनाने जा रहा है। इसका मकसद यूपी को विश्वस्तरीय निर्माण केंद्र के तौर पर तैयार करना है। इसके लिए अलीगढ़, प्रयागराज, उन्नाव और झांसी का चयन किया गया है। यह चारों यमुना एक्सप्रेसवे, निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे व बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के नजदीक हैं।
इनके जरिए राज्य में 0.81 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके लिए 1.2 लाख एकड़ जमीन की जरूरत होगी। बड़े आकार वाले भूखंड वाले औद्योगिक निवेश क्षेत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी ओर आकृष्ट करने में कामयाब होंगे। यह चार विशेष निवेश क्षेत्र गुजरात में बने निवेश क्षेत्र की तर्ज पर होंगे। योगी सरकार इन चारों निवेश क्षेत्रों में सबसे पहले बुंदेलखंड झांसी निवेश क्षेत्र विकसित करेगी। इसकी वजह यह है कि यहां जमीन आसानी से और एक जगह पर बड़े आकार में उपलब्ध है।
निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष होंगे मुख्यमंत्री
हाल में सरकार ने निर्माण एक्ट तैयार किया है। इसके तहत निर्माण बोर्ड में मुख्यमंत्री अध्यक्ष, औद्योगिक विकास मंत्री उपाध्यक्ष व राजस्व, श्रम, वित्त विभाग के मंत्री व मुख्य सचिव, आईडीसी सदस्य होंगे। यह नियुक्तियां सरकार की अवधि तक ही रहेंगी। इसके अलावा निर्माण क्षेत्र प्राधिकरण के लिए एक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण भी बनेगा।
अमेरिकन सलाहकार कंपनी डेलाइट ने यूपी को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जो सुझाव दिया, उस पर अमल करते हुए योगी सरकार ने विशेष निवेश क्षेत्र बनाने लिए नोडल इन्वेस्टमेंट रीजन फार मैन्यूफैक्चरिंग (निर्माण) एक्ट बनाया है। इससे संबंधित ‘उत्तर प्रदेश नोडल विनिधान रीजन विर्निमाण निर्माण क्षेत्र विधेयक-2024 विधानमंडल के आगामी वर्षाकालीन सत्र में पास कराया जाएगा।
क्या है विशेष निवेश जोन
असल में विशेष निवेश जोन बड़े आकार के ऐसे क्षेत्र हैं। जहां पर विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं हों। साथ ही आर्थिक गतिविधियों का संचालित करने के लिए बाधारहित एक सिस्टम कार्यरत हो। यह राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेसवे के आसपास बनते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अमुमन बड़े क्षेत्रफल वाले निवेश जोन में अपनी परियोजनाएं लगाना पसंद करती हैं।
गुजरात में 11, कर्नाटक में 2 विशेष निवेश क्षेत्र बने हैं
मौजूदा प्रधानमंत्री व गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र्र मोदी ने 2009 में देहले विशेष निवेश क्षेत्र बनाने की पहल की थी। तब से अब तक 11 ऐसे क्षेत्र बन चुके हैं। धौलेरा इसका बड़ा केंद्र है। इसके अलावा राजस्थान में इसे 2015 से लागू किया गया, कर्नाटक में भी इसी तरह के निवेश क्षेत्र बनाए गए हैं। कर्नाटक में तुमकर व धारवाड़ में इस तरह के जोन बने हैं।
इसके चलते यह राज्य निवेश, निर्माण के बड़े केंद्र के तौर पर उभरे हैं और इन राज्यों से निर्यात भी बढ़ा है। इन निवेश क्षेत्र के काम करने से बड़े पैमाने पर निर्माण कंपनियों द्वारा निवेश किया जाएगा। इससे उद्योग लगने व आर्थिक गतिविधियां बढ़ने व सहायक उद्योग लगने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। गुजरात समेत तीनों राज्यों में यह मॉडल कामयाब रहा है।
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