Home लखनऊ योगी सरकार बड़ा फैसला; व्यापारियों को बड़ी राहत

योगी सरकार बड़ा फैसला; व्यापारियों को बड़ी राहत

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योगी सरकार बड़ा फैसला

यूपी की योगी सरकार माल एवं सेवाकर टैक्स (जीएसटी) को लेकर व्यापारियों को बड़ी राहत देने वाली है। जीएसटी के विवादों के समाधान के लिए सरकार जल्द ही यूपी के पांच जिलों लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा व गाजियाबाद में ट्रिब्यूनल खोलने जा रही है। इसके खुलने के बाद व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। उनके जीएसटी टैक्स के विवादों के समाधान की राह आसान होगी। इसमें कुल चार सदस्य होंगे। दो न्यायिक सेवा और दो में एक केंद्र व एक राज्यकर सेवा का अधिकारी होगा। राज्यकर मुख्यालय ने शासन को यह प्रस्ताव भेज दिया है और जल्द ही इस पर फैसला होने की संभावना है।

जीएसटी ट्रिब्यूनल की व्यवस्था का प्रावधान

माल एवं सेवाकर में व्यापारियों को उनका पक्ष सुनने के लिए जीएसटी ट्रिब्यूनल की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश में मूल्य संवर्धित कर (वैट) में इसकी व्यवस्था थी, लेकिन वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई।

ट्रिब्यूनल न्यायिक संस्थाएं होती है। इसका मकसद न्यायपालिका पर पड़ने वाले बोझ को कम करना होता है। ट्रिब्यूनल, प्रशासनिक या कर से जुड़े विवादों को सुलझाने का काम करती है। ट्रिब्यूनल विवादों का निपटारा कर वादकारियों के अधिकारों का निर्धारण करती है।

राज्यकर विभाग ने जीएसटी वसूली

राज्यकर विभाग ने जीएसटी वसूली के लिए जोनल कार्यालय के साथ ही सचल दल इकाइयों का गठन कर रखा है। टैक्स चोरी करने वालों पर कार्रवाई की जाती है। इसके साथ ही कभी-कभार टैक्स अधिक देने या चोरी में गलत फंसाए जाने की मांग पर व्यापारी अपने पक्ष को सुनने के लिए वाद करता है। उत्तर प्रदेश में अभी तक जीएसटी से जुड़े न्यायायिक मामलों की सुनवाई के लिए जीएसटी ट्रिब्यूनल नहीं है।

व्यापारियों को अधिकारियों के पास प्रार्थना पत्र

इसीलिए जीएसटी में विवाद होने की स्थिति में व्यापारियों को अधिकारियों के पास प्रार्थना पत्र देने या न्यायालय जाने का अभी तक विकल्प है। व्यापारिक संगठनों की पुरानी मांग भी है कि जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए।

इसी को ध्यान में रखते हुए राज्यकर मुख्यालय ने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन कर दिया जाए, जिससे व्यापारियों के टैक्स से जुड़े विवादित मामलों की इनमें सुनवाई कर निस्तारण किया जाए।

इससे व्यापारियों को जहां राहत मिलेगी, वहीं राज्यकर के अधिकारियों के ऊपर टैक्स विवाद के मामलों की सुनवाई से भी राहत मिलेगी।

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