Yogi Government : चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद पर आईएएस की नियमित तैनाती के लिए नियमावली में बदलाव कर दिया गया है। मथुरा व आगरा भ्रमण के लिए जाने वाले लोग अब हेलीकॉप्टर से इन शहरों का हवाई भ्रमण कर सकेंगे।
प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने में लगी सरकार ने 100 करोड़ से 900 एडेड माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की दशा बदलने पर मुहर लगाई है। कैबिनेट ने इन विद्यालयों में जीणोऱ्द्धार, मरम्मत, पुर्ननिर्माण, निर्माण व अवस्थापना सुविधाओं के लिए 50-50 के स्थान पर 95-05 फीसदी राशि देने का निर्णय लिया है।
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शासन के इस निर्णय से संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने में काफी सहयोग मिलेगा और पठन-पाठन भी बेहतर होगा। इसके अनुसार जीणोऱ्द्धार, मरम्मत, पुर्ननिर्माण, निर्माण व अवस्थापना सुविधाओं के लिए 95 फीसदी राशि शासन व पांच फीसदी प्रबंध तंत्र देगा। पहले चरण में 50 साल से पहले के स्थापित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में मरम्मत व आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसमें विद्यालय की छत, फर्श की मरम्मत, छात्र-छात्राओं के लिए अलग शौचालय, उनकी मरम्मत, निर्माण व मल्टीपरपज हाल का निर्माण शामिल है।
कार्य योजना के अनुसार प्रबंधन समिति पहले अपनी बैठक कर कार्यदायी संस्था, संबंधित संस्था या शासकीय निर्माण इकाई का चयन करेगी। शिक्षा निदेशक माध्यमिक चरणबद्ध तरीके से इसके लिए बजट जारी करेंगे। राष्ट्रीयकृत बैंक में डीआईओएस, वित्त एवं लेखाधिकारी व प्रबंधक के नाम से स्वतंत्र खाता खोला जाएगा। निर्माण कार्य की गुणवत्ता की चार स्तर पर थर्ड पार्टी जांच कराई जाएगी।
किसानों-संस्थाओं को निशुल्क पौधे उपलब्ध कराएगा वन विभाग
कैबिनेट ने 35 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य हासिल करने के लिए वन विभाग की ओर से सभी सरकारी विभागों, संस्थाओं और व्यक्तियों को निशुल्क पौधे उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यूके लिप्टस और पौपलर के सिवाय अन्य प्रजातियों के पौधे निशुल्क उपलब्ध कराए जा सकेंगे। 12.60 करोड़ पौधे वन विभाग और 22.40 करोड़ पौधे अन्य विभाग जनसहभागिता के साथ रोपेंगे। किसानों, समाजसेवी संस्थाओं और एनएसएस के कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा।
रायबरेली में उपमंडी स्थल के लिए निशुल्क जमीन मिलेगी
रायबरेली में उपमंडी स्थल के निर्माण के लिए 1.397 हेक्टेयर जमीन निशुल्क रूप से हस्तांतरित की जाएगी। यह जमीन ऊसर है। यहां मंडी निर्माण होने से आसपास के क्षेत्र में जहां कृषि एवं व्यापार की नई राह खुलेगी तो व्यापारियों, किसानों, आढ़तियों, पल्लेदारों एवं श्रमिकों को लाभ होगा। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया।
कृषि निर्यात, विपणन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार मंडी स्थलों का निर्माण कर रही है। कृषि व्यापार को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 1965-66 में प्रदेश में मंडियों की संख्या मात्र दो थी जो अब बढ़कर 251 हो गई है। हाल ही में रायबरेली में यह कवायद की जा रही थी। यहां के राजस्व गांव सभा पट्टी रहस कैथवल तहसील ऊंचाहार में 1.397 जमीन को निशुल्क कृषि एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग को हस्तांतरित किया गया है। इस मंडी स्थल के निर्माण से किसानों को उनके उत्पादों की बिक्री की बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी। चूंकि इस क्षेत्र में गेहूं, धान के साथ साथ किसान सब्जियों की भी खूब खेती करते हैं। इस मंडी स्थल से इन फसलों के प्रसंस्कृत उत्पादों के व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
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डीजीएमई पद पर आईएएस की तैनाती का रास्ता साफ, बदल दी नियमावली
चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद पर आईएएस की नियमित तैनाती के लिए नियमावली में बदलाव कर दिया गया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिए उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा सेवा (तृतीय संशोधन) नियमावली 2023 बनाई गई है।
चिकित्सा शिक्षा सेवा नियमावली के तहत चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद प्रधानाचार्य काडर का है। विभाग में प्रधानाचार्य के 13 पद स्वीकृत हैं। प्रधानाचार्य से प्रोन्नत होकर अपर निदेशक बनने वाले वरिष्ठतम प्रधानाचार्य को महानिदेशक नियुक्त करने का प्रावधान है। एक अप्रैल 1994 में किए गए इस प्रावधान के बाद से सिर्फ वर्ष 2008 में नियमित नियुक्ति हो पाई। इसके अलावा ज्यादातर वक्त कार्यवाहक महानिदेशक रहे। पिछले कुछ दिनों से इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती की जा रही है।
अब इस पद पर नियमित आईएएस की तैनाती के लिए उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा सेवा (तृतीय संशोधन) नियमावली 2023 तैयार की गई है। बुधवार को इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब महानिदेशक पद पर नियमित तौर पर आईएएस तैनात किया जा सकेगा। यह सचिव स्तर का आईएएस अधिकारी होगा।
इसके पीछे तर्क दिया गया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विभिन्न विभागों एवं विभिन्न परिस्थितियों में कार्य करने का अनुभव रहता है। वे विभागों में सचिव अथवा कई निदेशालयों में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें सामान्य एवं तकनीकी प्रकृति का अनुभव होता है।
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क्यों पड़ी नियमावली बनाने की जरूरत
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद पर नियमावली के तहत वरिष्ठ प्रधानाचार्य नियुक्त करने की लगातार मांग चल रही है। वर्ष 1995 में पहली बार डीजीएमई पद पर आईएएस एसके खरे को तैनात किया गया था। इस फैसले के खिलाफ प्रधानाचार्यों ने कोर्ट में गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश पर इस पद से आईएएस को हटाना पड़ा था। इसके बाद इस पद पर कार्यवाहक के रूप में कभी प्रधानाचार्य तो कभी आईएएस कार्य करते रहे। वर्ष 2008 में डीजीएमई पद पर प्रधानाचार्य की नियुक्ति की गई, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद फिर यह पद कार्यवाहक के हवाले कर दिया गया।
प्रधानाचार्य डीपीसी करने और वरिष्ठता सूची सार्वजनिक करने की लगातार मांग करते रहे, लेकिन किसी न किसी तरह का पेंच फंस गया। मई माह में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने राज्य सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव, वर्तमान डीजीएमई किंजल सिंह, यूपीपीएससी प्रयागराज के चेयरमैन को नोटिस जारी किया।
इसमें पूछा कि किस आधार पर आईएएस अधिकारी की तैनाती की गई है। क्या उनके पास चिकित्सक होने की कोई डिग्री है। इस मामले में जुलाई में सुनवाई होनी है। ऐसी स्थिति में महानिदेशक पद के लिए नई नियमावली तैयार कर दी गई। इस नियमावली को मंजूरी देने से अब महानिदेशक पद पर आईएएस की ही तैनाती की जाएगी।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय होगा राज्य विवि
प्रदेश सरकार ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट को राज्य विश्वविद्यालय बनाने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार अध्यादेश ले आई है। प्रदेश कैबिनेट ने यूपी जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय अध्यादेश-2023 के मसौदे पर अपनी सहमति दे दी। विधानमंडल के आगामी सत्र में इस अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाकर पारित कराया जाएगा।
अध्यादेश के अनुसार इस विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाएगा। साथ ही इसमें दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ-साथ सामान्य छात्र-छात्राएं भी पढ़ाई कर सकेंगे। उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
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सहकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से फिर मिलेगी वित्तीय सहायता
उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड के जरिए फिर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नाबार्ड को दी है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई।
प्रदेश के सहकारी ग्राम बैंक विकास की राह पर चल पड़े हैं। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर के मुताबिक ग्राम विकास बैंकों का एनपीए भी 96 प्रतिशत से घटकर 58 प्रतिशत रह गया है। किसानों को ऋण देने के लिए बैंक के पास स्वयं के संसाधन पर्याप्त न होने के कारण नाबार्ड से सहायता ली जाती है।
इसके लिए शासन से प्रत्याभूति प्रदान की जाती है। ऐसे में कैबिनेट के समक्ष सत्र 2023-2024 के लिए 1000 करोड़ की बैंक गारंटी देने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही तथ्य भी रखे गए कि यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से रिफाइनेंस होगा। इससे किसानों को दीर्घ अवधि एवं अन्य ऋण दिए जा सकेंगे। खास तौर से लघु, सीमांत किसानों को इससे सीधा लाभ होगा। कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा किसानों की आर्थिक स्थित में सुधार होगा। यह प्रस्ताव कैबिनेट ने मंजूर कर लिया।
मथुरा-आगरा का हेलीकॉप्टर से कर सकेंगे भ्रमण
मथुरा व आगरा भ्रमण के लिए जाने वाले लोग अब हेलीकॉप्टर से इन शहरों का हवाई भ्रमण कर सकेंगे। कैबिनेट ने इन दोनों शहरों में पर्यटन विकास के लिए हेलीपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर संचालन पर सहमति दे दी है। मथुरा और आगरा में साल भर देशी-विदेशी पर्यटकों का आना होता है। पर्यटन की दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण है। पर्यटकों की संख्या बढ़ाने व उनको आकर्षित करने के लिए मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही हेलीपोर्ट के संचालन को हरी झंडी दी गई।
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इससे प्रदेश व स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे ओर स्थानीय विकास भी होगा। इन हेलीपोर्ट को निजी निवेशकों के माध्यम से विकसित व संचालित किया जाएगा। इन्हें 30 साल के लिए लीज पर दिया जाएगा।
अयोध्या में रामकथा संग्रहालय के संचालन की शर्तों में संशोधन
कैबिनेट ने अयोध्या स्थित अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय व आर्ट गैलरी के प्रबंधन, संचालन व रखरखाव की शतोऱ्ं में संशोधन पर सहमति दी है। इसके प्रबंधन व संचालन के लिए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ-क्षेत्र व प्रदेश सरकार के बीच एमओयू किया गया था। संस्कृति विभाग ने 1988 में इसकी स्थापना की थी, किंतु इसका ठीक से रखरखाव नहीं हो पा रहा था। इस क्रम में इसके संचालन व रखरखाव श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र को देने पर मंत्री परिषद ने अनुमोदन दिया था।
हरदोई के ट्रेजरी घपले में वित्त सेवा के दो अधिकारी बर्खास्त
कैबिनेट ने हरदोई के 5.45 करोड़ रुपये के पेंशन घपले में तत्कालीन वरिष्ठ कोषाधिकारी दीपांकर शुक्ला और देवी प्रसाद को बर्खास्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दीपांकर शुक्ला 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले थे। वर्तमान में ये दोनों अधिकारी निलंबित चल रहे हैं।
हरदोई में वर्ष 2009-16 के बीच यह घपला किया गया था। इसमें फर्जी पेंशन ऑर्डर (पीपीओ) तैयार करके खातों में राशि भेजी गई। इतना ही नहीं वास्तविक पेंशनरों के नाम के आगे फर्जी खाता संख्या दर्ज कर और एक कर्मचारी के स्वयं के व उसकी पत्नी के संयुक्त खातें में धनराशि ट्रांसफर की गई। वर्ष 2020 में इस मामले की जांच तत्कालीन वित्त नियंत्रक, कार्यालय प्रमुख वन संरक्षक को सौंपी गई थी। उनकी रिपोर्ट में कोषागार के अधिकारियों की मिलीभगत बताई गई थी, जिसे अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
अगस्त 2010 से जून 2015 तक दीपांकर शुक्ला और अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक देवी प्रसाद हरदोई के कोषागार में बतौर वरिष्ठ कोषाधिकारी तैनात रहे। विभाग ने इन्हें एक ग्रेड पे की पदावनति देने की संस्तुति की थी, लेकिन उच्चस्तर से इस दंड को पर्याप्त न मानते हुए आपत्ति लगाई गई। इसके बाद बर्खास्तगी का निर्णय लेते हुए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को भेजा गया, पर वहां से सहमति नहीं मिल सकी।
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इसलिए इन दोनों की बर्खास्तगी का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया, जिसे मंजूरी दी गई है। देवी प्रसाद की करीब 7 साल की सेवा अभी बची हुई थी। वित्त सेवा के इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को भविष्य में नियोजन के अयोग्य ठहराते हुए दंड दिया गया है।
न्यायिक अधिकारियों को मिलेगा द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग का लाभ
प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने न्यायिक अधिकारियों के लिए द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की वेतन पुनरीक्षण संबंधी संस्तुतियों को एक जनवरी 2016 से लागू करने की मंजूरी दी है। न्यायिक अधिकारियों को जनवरी 2016 से जून 2023 तक का एरियर भी दिया जाएगा। प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि न्यायिक अधिकारियों को आयोग की वेतन पुनरीक्षण संबंधी संस्तुति के अनुसार वेतन भत्ते देन से सरकार पर हर महीने 7.22 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। जनवरी 2016 से जून 2023 तक 93 महीने के एरियर का एक मुश्त भुगतान करने पर 671 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा।
सहकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से फिर मिलेगी वित्तीय सहायता
उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड के जरिए फिर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नाबार्ड को दी है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। प्रदेश के सहकारी ग्राम बैंक विकास की राह पर चल पड़े हैं।
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर के मुताबिक ग्राम विकास बैंकों का एनपीए भी 96 प्रतिशत से घटकर 58 प्रतिशत रह गया है। किसानों को ऋण देने के लिए बैंक के पास स्वयं के संसाधन पर्याप्त न होने के कारण नाबार्ड से सहायता ली जाती है। इसके लिए शासन से प्रत्याभूति प्रदान की जाती है। ऐसे में कैबिनेट के समक्ष सत्र 2023-2024 के लिए 1000 करोड़ की बैंक गारंटी देने का प्रस्ताव रखा गया।
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साथ ही तथ्य भी रखे गए कि यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से रिफाइनेंस होगा। इससे किसानों को दीर्घ अवधि एवं अन्य ऋण दिए जा सकेंगे। खास तौर से लघु, सीमांत किसानों को इससे सीधा लाभ होगा। कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा किसानों की आर्थिक स्थित में सुधार होगा। यह प्रस्ताव कैबिनेट ने मंजूर कर लिया।
सुक्ष्म उद्यमियों को मिलेगा पांच लाख रुपये का दुर्घटना बीमा
प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने राज्य में सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहित करने और अपरिहार्य परिस्थिति में सुक्ष्म उद्यमियों को सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री सुक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना लागू करने की मंजूरी दी है। योजना के तहत पंजीकृत उद्यमी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित को पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में एमएसएमई उद्यमियों को बड़ी सौगात दी गई। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि योजना में 18 से 60 वर्ष के सुक्ष्म श्रेणी के उद्यमी आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत वही सुक्ष्म उद्यमी लाभान्वित होंगे जो जीएसटी विभाग की ओर से संचालित व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना में लाभ पाने के लिए पात्र नहीं हैं।
एक महीने में मिलेगी सहायता राशि
सुरेश खन्ना ने बताया कि दुर्घटना के बाद स्थायी अपंगता पर मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर जारी विकलांगता प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। सुक्ष्म उद्यमी की दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ित परिवार सदस्य की ओर से बीमा राशि के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसकी एक प्रति सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपायुक्त उद्योग के यहां भी प्रस्तुत करनी होगी। निदेशालय स्तर से नामित वारिस को बीमा की राशि एक महीने में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी।
अनौपचारिक रुप से चल रही 85 फीसदी एमएसएमई इकाइयां
प्रदेश में कुल स्थापित एमएसएमई इकाइयों का लगभग 15 फीसदी ही औपचारिक रूप से उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकृत है। 85 फीसदी इकाइयां अनौपचारिक रूप से कार्यरत है। उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकरण बाध्यकारी नहीं होने की स्थिति में अधिकांश इकाइयों ने पंजीकरण नहीं कराया है। जिससे इन इकाइयों के आंकड़े औपचारिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। औपचारिक आंकड़ों की उपलब्धता सुगम नहीं होने से इस क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में आर्थिक योगदान वास्तविक रूप से प्रदर्शित नहीं होता है। वहीं इस क्षेत्र के लिए नीति निर्धारित करने में भी दिक्कत आती है।
मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग में नियमित हो सकेंगे कर्मचारी
उत्तर प्रदेश मुद्रण एवं लेखन सामग्री सुरक्षा सेवा नियमावली, 2023 में समूह ग के 98 पद शामिल किए जाएंगे। इस संबंध में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में लाए गए प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। इसके साथ ही मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग में सुरक्षा संवर्ग के कार्मिकों को नियमित करने (विनियमन) के लिए उत्तर प्रदेश मुद्रण एवं लेखन सामग्री सुरक्षा सेवा नियमावली, 2023 जारी करने को भी मंजूरी दे दी गई है।
यहां बता दें कि मुद्रण एवं लेखन सामग्री निदेशालय और अधीनस्थ राजकीय मुद्रणालयों में सुरक्षा संवर्ग के गेटमैन और गेट जमादार के पद सृजित हैं। लेकिन, अभी तक इनके विनियमन के लिए कोई नियमावली नहीं है।
जिला पंचायत स्तर पर मिल सकेगी निर्माण कार्यों की मंजूरी
पंचायतीराज विभाग के तहत जिला पंचायतों, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों में कराए जाने वाले निर्माण कार्य की तकनीकी, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जिला पंचायत स्तर पर मिल सकेगी। योगी कैबिनेट की बुधवार को आयोजित बैठक में जिला पंचायतों में तकनीकी स्वीकृति और अनुमोदन के लिए अभियंत्रण संवर्ग को सुदृढ़ करने की मंजूरी दी गई है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि जिला पंचायतों में तकनीकी संवर्ग को सुदृढ़ करने के लिए जिला पंचायतों के लिए नव सृजित अधिशासी अभियंता (सिविल) के पद की सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए उत्तर पदेश जिला पंचायत अधिशासी अभियंता (सिविल) का केंद्रीय संक्राम्य संवर्ग सेवा नियमावली 2023 को लागू किया गया है।
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जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ में सृजित अधिशासी अभियंता (सिविल), अधीक्षण अभियंता (सिविल) और मुख्य अभियंता (सिविल) के पद सृजित किए हैं। इनकी सेवा शर्तों में संशोधन करते हुए तकनीकी, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के अधिकार भी निर्धारित किए हैं।
राज्यपाल के परिसहाय के प्रतिनियुक्ति भत्ते की मंजूरी
प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने राजभवन में प्रतिनियुक्ति पर परिसहाय के पद पर कार्यरत सैन्य अधिकारी को प्रतिनियुक्ति भत्ता देने की मंजूरी दी है।
पीपीपी मॉडल पर होगा उपकेंद्र का निर्माण
गौतमबुद्ध नगर में विभिन्न उपकेंद्रों का निर्माण व विस्तार एवं जहां से लाइनें निकलती हैं उस स्थान से संबंधित निर्माण (बे) पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश में इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर (इएमसी) पॉलिसी 2020 में ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर के तहत गौतमबुद्ध नगर में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में वितरण लाइसेंसी पीवीपीएनएल एवं एनपीसीएल हैं।
इस क्षेत्र में व्यावसायिक संस्थानों के साथ डाटा सेंटर, मेडिकल डिवाइस पार्क, औद्योगिक इकाइयां हैं। सेक्टर 21 में फिल्म सिटी प्रस्तावित है। ऐसे में यहां बिजली व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर 28 में 220 केवी का उपकेंद्र बनाया जाएगा। यहां पहले से मौजूद उपकेंद्र की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। संबंधित लाइनों का बे (जहां से सप्लाई लाइन निकली है) सहित अन्य निर्माण कार्य होगा। यह सभी कार्य टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर कराए जाएंगे। इस प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई।
छह मेडिकल कॉलेजों के लिए निविदा दस्तावेज अनुमोदित
प्रदेश में जल्द ही छह असेवित जिलों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए प्राइवेट पार्टनर चयन के लिए निविदा दस्तावेज को अनुमोदित कर दिया गया है। यह अनुमोदन बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया। यह कॉलेज बागपत, मैनपुरी, हाथरस, कासगंज, महोबा और हमीरपुर में खुलेंगे।
प्रदेश में 16 असेवित जिले में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। ये बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, सम्भल, सन्तकबीरनगर, शामली एवं श्रावस्ती में खोले जा रहे हैं।
इसके लिए वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वीजीएफ) योजना तहत भारत सरकार ने निर्गत दिशा-निर्देशों जारी किया है। इसमें दो सब-स्कीम हैं। सब-स्कीम-2 को शिक्षा एवं स्वास्थ्य के डिमांस्ट्रेशन / पायलट प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके तहत भारत सरकार द्वारा 40 प्रतिशत निर्माण संबंधी खर्च एवं 25 प्रतिशत उसे चलाने के खर्च को मंजूरी दी गई है।
राज्य सरकार द्वारा भी 40 प्रतिशत तक अतिरिक्त आधारभूत ढांचा खर्च एवं 25 प्रतिशत आपरेशनल खर्च पांच वर्ष के लिए मंजूर की गई है। इस योजना के तहत बागपत, मैनपुरी, हाथरस, कासगंज, महोबा एवं हमीरपुर में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए प्राइवेट पार्टनर के चयन की प्रक्रिया शुरू की गई।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ‘कमेटी आफ सेक्रेट्रीज’ की 28 मार्च 2023 को हुई बैठक में बिडिंग दस्तावेजों का अनुमोदन किया गया। अब इस प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट की बैठक में भी मंजूरी दे दी गई है। ऐसे में इन छह असेवित जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए प्राइवेट पार्टनर चयन का रास्ता साफ हो गया है। मेडिकल कालेज की स्थापना से इन जिलों के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। साथ ही यहां शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक संवर्ग के रोजगार का सृजन हो सकेगा।
ऊर्जा निकासी के लिए पीपीपी मॉडल पर तैयार होगा तंत्र
प्रदेश में विभिन्न परियोजनाओं से उत्पादित ऊर्जा की निकासी के लिए पारेषण तंत्र को सुधारा जाएगा। इस कार्य पर करीब 2885.93 करोड़ रुपया खर्च होगा। यह कार्य पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर कराया जाएगा। इसे बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। इससे औद्योगिक इकाइयों को अधिक गुणवत्तापरक बिजली मिल सकेगी और निवेश को बढावा मिलेगा।
प्रदेश में बारा, मेजा और टांडा तापीय परियोजना चल रही है। यहां से उत्पादिक होने वाली ऊर्जा की निकासी के लिए पारेषण तंत्र को सुधारा जा रहा है। इसके लिए ग्रिड भी तैयार की जा रही है। इस कार्य पर करीब 2885.93 करोड रुपया खर्च होगा। अब यह कार्य पीपीपी मोड में टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) के तहत कराया जाएगा। इससे प्रदेश के औद्योगिक इकाइयों को गुणवत्तापरक विद्युत आपूर्ति मिल सकेगी।
इंडो इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फार फ्रूट के लिए उद्यान विभाग को मिली निशुल्क जमीन
इंडो इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फार फ्रूट की स्थापना के लिए कृषि विभाग की 9 हेक्टेयर भूमि उद्यान विभाग को मिलेगी। इसके लिए कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी। इस सेंटर की स्थापना के बाद हर साल 50000 रोगमुक्त उच्च गुणवत्ता की फलदार पौध यहां तैयार की जाएगी। 5440 रोजगार का सृजन होगा और किसान नई तकनीक से निर्यात योग्य फल और सब्जी उत्पादित कर सकेंगे।
उद्यान मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) दिनेश प्रताप सिंह के मुताबिक ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के भारत सरकार ने कौशाम्बी के लिए ‘इंडो-इजराइल सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस फार फ्रूट’ की स्थापना को मंजूरी दी है। इसके लिए यहां तहसील सिराथू के गांव ग्राम कोखराज कृषि विभाग की 11.573 हेक्टेयर में से मात्र 09 हेक्टेयर भूमि उद्यान विभाग को निशुल्क निःशुल्क हस्तांतरित कराए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसकी स्थापना के लिए 651.64 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसमें 390.984 लाख रुपये केन्द्रांश तथा 260.656 लाख रुपये राज्यांश सम्मिलित है।
चूंकि कौशाम्बी अमरूद के उत्पादन का बड़ा क्षेत्र स्थित है। प्रयागराज मंडल में मुख्य रूप से आम, अमरूद, आंवला के फल पट्टी क्षेत्र हैं तथा टिश्यू कल्चर केले की खेती भी व्यापक पैमाने पर की जाती है। वर्तमान में इन फसलों के पौध परंपरागत तरीके से तैयार की जा रही है। इस सेंटर की स्थापना के बाद नई तकनीक के माध्यम से रोगमुक्त उच्च गुणवत्ता के लगभग 50 हजार फलदार पौधे उत्पादित होंगे, जो कृषकों को लागत मूल्य पर उपलब्ध कराये जाएंगे। साथ ही इस सेंटर में हाईटेक नर्सरी, पाॅली हाउस, नेट हाउस, प्रदर्शन ब्लॉक आदि की व्यवस्था होगी।
2500 से अधिक न्यायिक अधिकारी होंगे लाभान्वित
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के पूर्व महासचिव बीएन रंजन ने बताया कि द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की वेतन पुनरीक्षण संस्तुति लागू होने से प्रदेश में मुंसिफ मजिस्ट्रेट से लेकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल तक 2500 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को लाभ होगा। उन्होंने बताया कि न्यायिक अधिकारियों के वेतन में
15 से 25 हजार रुपये महीने की वृद्धि होगी।
एमएलएन मेडिकल कॉलेज के नए भवनों में बढ़ेंगी सुविधाएं
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज में एमबीबीएस की सीटें 150 से बढ़ाकर 200 करने के बाद यहां नए भवन बन रहे हैं। इन भवनों में कई सुविधाएं बढाई जाएंगी। इस पर निर्धारित लागत से करीब दो करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे। खर्च के इस प्रस्ताव को बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज में आर्थिक रूप से कमजोर संवर्ग कोटे के तहत एमबीबीएस की सीटें 150 से बढ़ाकर 200 कर दी गई हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से 60 करोड़ रुपया स्वीकृत किया गया है। बढ़ी हुई सीटों के लिए भवन निर्माण कराया जा रहा है। यह कार्य उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम करा रहा है। इन भवनों में वुडेन पैनल, फाइबर फाल्स सीलिंग सहित अन्य कार्य हो रहे हैं। ऐसे में इनकी लागत बढ़ गई। यह अनुमानित लागत 4482.12 लाख के सापेक्ष4700.05 लाख हो गई। व्यय वित्त समिति के अनुमोदन के बाद बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है।