पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने पांच साल पुराने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में अदालत ने उन्हें दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया है। जयाप्रदा पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान केमरी थाने में आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था। विवेचना के बाद पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया था। इसके बाद एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस की सुनवाई चल रही थी।
गुरुवार को अदालत ने पत्रावली पर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। दोपहर बाद जयाप्रदा अपने अधिवक्ता के साथ कोर्ट पहुंचीं। लंच बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषमुक्त करते हुए बरी करने का आदेश सुनाया। दो जुलाई को मामले की सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने फैसले के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की थी। जयाप्रदा की तरफ से अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने तब उनके पक्ष को मजबूती से रखा था।
पूर्व सांसद जयाप्रदा को बड़ी राहत, कोर्ट ने किया दोषमुक्त
उनकी तरफ से दलील दी गई कि अभियोजन द्वारा अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे साबित नहीं किया गया है और जयाप्रदा के द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान जनसभा को संबोधित कर दिए गए भाषण से किसी प्रकार आचार संहिता का उलंघन नहीं हुआ है। इससे पहले अप्रैल में जयाप्रदा खुद कोर्ट में पेश होकर अपना बयान दर्ज कराया था। उनके बयान के बाद कई गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज हुए थे।
पेश न होने पर फरार तक घोषित हो चुकी हैं जयाप्रदा
जयाप्रदा लंबे समय तक कोर्ट में पेश नहीं हो रही थीं। इसे लेकर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट कई बार जारी हुआ। यहां तक की उन्हें फरार भी घोषित किया गया था। कोर्ट ने जयाप्रदा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद पुलिस की टीमों ने जयाप्रदा की तलाश में कई स्थानों पर छापेमारी भी की थी। ज्यादाप्रदा के खिलाफकेमरी के अलावा स्वार थाने में आचार संहिता उल्लंघन के केस दर्ज हुए थे।
जयाप्रदा के खिलाफ गैर जमानती वारंट
जयाप्रदा के खिलाफ गैर जमानती वारंट और सीआरपीसी की धारा-82 की कार्रवाई हुए कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि जयाप्रदा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करें। इसके बाद जयाप्रदा हाईकोर्ट भी गईं लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर मार्च में कोर्ट में पेश होकर अपना वारंट रद कराया था।
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