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यूपी के इस जिले में छह शिक्षकों की गई नौकरी, बीएसए ने किया बर्खास्त; पुलिस ने भेजा जेल

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स्ती में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नियुक्तियों में बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां छह शिक्षक फर्जी कागजों पर नौकरी करते मिले। बीएसए ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है।

यूपी के श्रावस्ती में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नियुक्तियों में बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां छह शिक्षक फर्जी कागजों पर नौकरी करते मिले। बीएसए ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। बीएसए की कार्रवाई के बाद पुलिस ने छह में से पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। विकास क्षेत्र हरिहरपुररानी, जमुनहा व सिरसिया में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेख से छह जालसाज शिक्षक की नौकरी कर रहे थे। मामला संज्ञान में आने के बाद बीएसए ने दो दिन पहले चार मार्च को सभी फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद बीईओ हरिहरपुररानी, जमुनहा व सिरसिया की ओर से पांच मार्च को शिक्षकों के विरुद्ध मुकद्मा दर्ज कराया गया।

गुरुवार को पुलिस ने आलोक कुमार गुप्ता उर्फ किसन निवासी ईश्वरचन्द नगर, थाना भोगनीपुर जनपद कानपुर, कानपुर नगर के ग्राम इस्माइलपुर निवासी प्रदीप कुमार पुत्र लालजी, कानपुर देहात के तहसील भोगनीपुर के ग्राम भोगीसागर निवासी जितेंद्र सिंह पुत्र राम औतार, बस्ती जिले के रामपुर तप्पा कनैला थाना कलवारी निवासी उमेश कुमार मिश्र पुत्र प्रेम चंद्र व कानपुर देहात के ग्राम परेहरापुर निवासी सुशील कुमार पुत्र रामसजीवन समेत पांच फर्जी शिक्षकों को अलग अलग स्थानों से गिरफ्तार किया। मामले का खुलासा करते हुए डीएम अजय कुमार द्विवेदी व एसपी घनश्याम चौरसिया ने बताया कि पांचो जालसाज फर्जी अभिलेख से शिक्षक की नौकरी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आरोपी प्रदीप कुमार प्राथमिक विद्यालय केशवपुर में तैनात था।

आलोक कुमार गुप्ता की तैनाती प्राथमिक विद्यालय बल्दीडीह में थी, जितेंद्र सिंह प्राथमिक विद्यालय कोयलहवा में तैनात था। उमेश कुमार मिश्र प्राथमिक विद्यालय बैभी गिलौला में तैनात था। सुशील कुमार की तैनाती भवनियापुर जमुनहा में थी। उमेश मिश्रा की नियुक्ति 2013 में हुई थी। जबकि अन्य चारों की नियुक्ति 2017 में हुई थी। इतना ही नहीं गिलौला के प्राथमिक विद्यालय बैभी में सहायक शिक्षक के पद पर तैनात उमेश कुमार मिश्र पदोन्नति पाकर हरिहरपुररानी के उच्च प्राथमिक विद्यालय असनहरिया पहुंच गया। इस दौरान विभाग को भनक नहीं लगी कि उसकी टीईटी का अंकपत्र फर्जी है। 12 साल तक यह जालसाज शिक्षक की नौकरी करता रहा।

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