यूपी में नाम बदलने को लेकर कई बार सियासी गरमाहट देखने को मिली है। इस बीच एक और जिले का नाम बदलने की तैयारी हो चुकी है। लोकसभा चुनाव के लिए आयोजित जनसभा में सीएम योगी ने इसका इशारा भी कर दिया। सीएम योगी ने अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए लोकसभा के नाम पर अपनी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि ‘चिंता मत करिए, ये सब बदल जाएगा।’ ये इस बात का संकेत है कि लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद तीसरी बार मोदी सरकार बनी तो राज्य सरकार की ओर से अकबरपुर का नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया जा सकता है।
योगी सरकार पहले भी ऐसा कर चुकी है। सिर्फ अकबरपुर ही नहीं, प्रदेश के अंदर कई ऐसे जिले हैं जिनका नाम बदलने को लेकर मांग की जा रही है। इन जिलों के नाम गुलामी के दिनों की याद दिलाते हैं। ऐसे में अकबरपुर पर सीएम योगी की टिप्पणी के बाद ऐसे सभी नामों में बदलाव की संभावना जगी है। बुधवार को अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के घाटमपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि अकबरपुर का नाम ही ऐसा है कि बार-बार बोलने में संकोच लगता है। ये सब बदल जाएगा। हमें गुलामी के निशानों को समाप्त करना है और विरासत का सम्मान करना है। इस क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा के साथ जोड़ना है। इसके लिए जो अभियान देश में शुरू हुआ है, उसमें हमें भी एक वोट के साथ सहभागी बनना है।
योगी का इशारा मुगलकालीन बादशाह अकबर के नाम पर लोकसभा क्षेत्र का नाम होने पर था। हालांकि, प्रदेश में अकबरपुर ही नहीं, कई जिले ऐसे हैं जिनके नाम भारतीय संस्कृति और विरासत से तालमेल नहीं खाते और गुलामी के दिनों की याद दिलाते हैं। मसलन, अलीगढ़, आजमगढ़, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद और मुरादाबाद जैसे जिलों के नाम बदलने के लिए पहले भी आवाज उठ चुकी है। अकबरपुर में सीएम योगी के इस बयान ने इन आवाजों को और ताकत दी है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद गुलामी की निशानियों से निजात दिलाने की पहल शुरू की है। इसके अंतर्गत प्रदेश में कई सड़कों, पार्कों, चौराहों, इमारतों का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर रखा गया है। लखनऊ में एक निश्चित समय पर, कोई भी अटल बिहारी वाजपेई रोड से यात्रा कर सकता है, अटल चौराहा से गुजर सकता है और अटल बिहारी वाजपेई सम्मेलन केंद्र तक पहुंच सकता है, अटल सेतु को पार कर सकता है और अटल बिहारी कल्याण मंडप पहुंच सकता है।
इसके अलावा योगी सरकार ने प्रतष्ठिति मुगलसराय रेलवे स्टेशन (जो देश का चौथा सबसे व्यस्त रेलवे जंक्शन है) का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया। यह कदम बीजेपी के सह-संस्थापक के प्रति सम्मान का प्रतीक था। राज्य सरकार ने 2019 कुंभ मेले से ठीक पहले इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया।
संतों का दावा है कि इस ऐतिहासिक शहर का मूल नाम प्रयाग राज ही था और मुगलों ने इसे बदलकर ‘अल्लाहबाद’ कर दिया था जो बाद में इलाहाबाद हो गया। वहीं, फैजाबाद का नाम भी बदलकर अयोध्या किया गया था, जबकि झांसी रेलवे स्टेशन का नाम भी बदलकर रानी लक्ष्मी बाई के नाम पर रखा गया है।
अलीगढ़ के नगर निकायों ने शहर का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, जबकि फिरोजाबाद का नाम बदलकर चंद्र नगर करने का प्रस्ताव रखा गया था। ऐसा ही एक प्रस्ताव मैनपुरी में भी रखा गया था, जिसमें जिले का नाम बदलकर मायापुरी करने की मांग की गई थी।
माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने अपने गृह जिले संभल का नाम बदलकर पृथ्वीराज नगर या कल्कि नगर करने की मांग की है। इसी तरह, सुल्तानपुर जिले का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने की मांग कर रहे हैं। इस शहर की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। देवबंद का नाम भी बदलकर देववृंद करने की मांग की जा रही है।
देवबंद इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम के लिए जाना जाता है, लेकिन दावा है कि प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में इस स्थान को देववृंद कहा गया है। इसी तरह, शाहजहांपुर का नाम बदलकर शाजीपुर करने की भी मांग उठी थी, जो कि महाराणा प्रताप के करीबी भामाशाह का दूसरा नाम है। गाजीपुर का नाम बदलकर गाधिपुरी करने की मांग हो रही है।