अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव फिलहाल अन्य नौ सीटों के साथ होता नजर नहीं आ रहा है। अब इस मामले पर सुनवाई कम से कम 15 दिन बाद ही हो सकेगी। तब तक अन्य सीटों पर नामांकन समेत चुनाव प्रक्रिया का आधा हिस्सा पूरा हो चुका होगा। गुरुवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व विधायक और भाजपा नेता गोरखनाथ बाबा की ओर से दाखिल निर्वाचन याचिका को वापस लिए जाने की उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि याची द्वारा तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही याचिका वापसी पर विचार किया जा सकता है। न्यायालय ने इस संबंध में याची को आदेश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर याचिका वापस लिए जाने संबंधी नोटिस के ऑफिशियल गजट में प्रकाशन के लिए कार्यवाही करे। न्यायालय ने उक्त प्रकाशन के 15 दिन के उपरांत मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने गोरख नाथ की याचिका पर पारित किया। गुरुवार को जब याची की याचिका वापसी संबंधी अर्जी न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुई तो प्रतिवादी के अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए दलील दी कि उक्त अर्जी को तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही दाखिल कर दिया गया है। कहा गया की वापसी की उक्त अर्जी की प्रति सभी प्रतिवादियों को उपलब्ध नहीं कराई गई है और न ही उक्त अर्जी का नियमानुसार ऑफिशियल गजट में प्रकाशन कराया गया है।
न्यायालय ने इस दलील को सही पाते हुए, याची के अधिवक्ता को आदेश दिया कि वह वापसी के अर्जी की प्रति सभी प्रतिवादियों को उपलब्ध कराएं तथा नोटिस के प्रकाशन के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 के प्रदेश के विधान सभा चुनावों में मिल्कीपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ सपा के अवधेश प्रसाद से चुनाव हार गए थे। हालांकि नामांकन के दौरान अवधेश प्रसाद द्वारा दाखिल नोटरी को डिफेक्टिव बताते हुए, उनके चुनाव को गोरखनाथ ने चुनौती दी थी।
वहीं 26 अप्रैल 2022 को उक्त याचिका पर सुनवाई के उपरान्त न्यायालय ने याची के अंतरिम राहत सम्बन्धी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है कि चुनाव परिणाम में हस्तक्षेप किया जाय। इसी चुनाव को लेकर एक अन्य निर्वाचन याचिका भी शिव मूर्ति की ओर से दाखिल की गई है। उक्त याचिका के वापसी की अर्जी पर भी न्यायालय ने प्रकाशन का आदेश पारित किया है।
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