सायना नेहवाल और परुपल्ली कश्यप के अलग होने की खबर के बाद, अब अंतरराष्ट्रीय पहलवान दिव्या काकरान ने भी अपने पति से तलाक लेने का फैसला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी फीलिंग्स शेयर कीं।
सायना नेहवाल और परुपल्ली कश्यप के अलग होने की खबर के बाद, अब अंतरराष्ट्रीय पहलवान दिव्या काकरान ने भी अपने पति सचिन प्रताप सिंह से तलाक लेने का फैसला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी फीलिंग्स शेयर की और इसे अपने जीवन का सबसे कठिन अध्याय बताया।
अर्जुन पुरस्कार विजेता दिव्या काकरण ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि यह उनके जीवन के सबसे भावनात्मक रूप से कठिन अध्यायों में से एक रहा है। उन्होंने लिखा, “इसमें बहुत दर्द, चिंतन और त्याग करना पड़ा,जिनके बारे में उन्हें पता नहीं था।” उन्होंने आगे कहा कि यह उनके लिए कुछ ऐसा है जिसे आसानी से साझा नहीं किया जा सकता, लेकिन अपने समर्थकों के सहयोग के कारण उन्होंने इसे साझा करना ज़रूरी समझा।
दिव्या ने कहा कि अब धीरे-धीरे अब ठीक हो रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि जीवन कभी-कभी ऐसा मोड़ ले लेता है जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं होती। वह अभी भी खुद को स्थिर करने की कोशिश कर रही हैं, साथ ही ऐसे तरीकों से आगे बढ़ रही हैं जिनकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी। दिव्या ने अपने माता-पिता और परिवार को उनके हर फैसले में समर्थन देने के लिए आभार व्यक्त किया।
नोएडा में तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं दिव्या
दिव्या काकरान एक जानी-मानी पहलवान हैं और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनका यह व्यक्तिगत फैसला उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है। फिलहाल दिव्या काकरान नोएडा में तहसीलदार के पद पर कार्यरत है।
दिव्या के पिता ने की दोनों के तलाक की पुष्टि
दिव्या काकरन के पिता सूरज पहलवान ने भी दोनों की तलाक की पुष्टि की। उन्होंने तुलसीदास द्वारा लिखी रामचरित मानस की पंक्ति को व्हाट्सऐप स्टेटस लगाया। जिसमें लिखा था, “विधि का विधान, श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देखकर किया गया। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक और जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया, सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि ककेहूं मुनिनाथ, लाभ हानि, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ। अर्थात जो विधि ने निर्धारित किया है वह होकर रहेगा। न राम के जीवन को बदला जा सका और न ही कृष्ण के।”