UP Weather News: गर्मी से बेहाल उत्तर प्रदेश के जनजीवन को मानसून की बारिश के लिए अभी एक महीने और इंतजार करना पड़ेगा। जैसा कि मौसम विज्ञानियों ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ेगी और यह इस बात से भी साबित हो गया कि इस बार मार्च से लेकर अब तक प्री-मानसून बारिश न के बराबर रही। इस नाते यह माना जा रहा है कि जून के पहले पखवारे तक उमस भरी गर्मी जनजीवन को परेशान करेगी। वर्ष 2023-24 यानि पिछले साल मार्च से मई के बीच प्री-मानसून बारिश के आंकड़े देखें तो पिछले साल 32.6 मिमी सामान्य प्री-मानसून बारिश के सापेक्ष 69.9 मिमी यानि 214 प्रतिशत बारिश हुई थी। 2021-22 में 32.6 मिमी की सामान्य प्री-मानसून बारिश की तुलना में 23.3 मिमी यानि 71.5 प्रतिशत और 2020-21 में 94.4 मिमी. यानि 289.5 प्रतिशत प्री मानसून बारिश हुई थी।
दो दिन बाद गिरने लगेगा पारा
आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि अभी दो दिनों तक तक प्रदेश में पछुवा हवा की वजह से ग्रीष्म लहर का प्रकोप बढ़ा रहेगा। मगर दो दिन बाद पुरवाई बहेगी जिससे तामापन में थोड़ी गिरावट आएगी और उमस भरी गर्मी बढ़ेगी। गर्म रातों का सिलसिला भी खत्म होगा।
मानसून अंडमान तक पहुंचा, 31 मई या पहली जून को भारत में दाखिल होने के आसार
मौसम विज्ञानी ने बताया कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में मानसून का आगमन हो चुका है और अब केरल के समुद्र तट से 31 मई या पहली जून को भारत में दाखिल होने के आसार हैं। अगर देश में मानसून समय से दाखिल हुआ और अपनी पूर्व निर्धारित सामान्य तिथियों के मुताबिक आगे बढ़ता रहा तो आगामी 18 से 20 जून के बीच गोरखपुर या वाराणसी के रास्ते मानसून यूपी में दाखिल हो सकता है। उन्होंने बताया कि लखनऊ में मानसून की बारिश 23 से 25 जून के बीच शुरू होने के आसार हैं। पिछले साल यूपी में मानूसन अपने निर्धारित समय से पिछड़ गया था और प्रदेश में देर से दाखिल हुआ था, 18 से 20 जून के बजाए यह पिछले साल 22 जून को प्रदेश में आया था।
यूपी में जून से सितम्बर के बीच होती है मानसून की बारिश
मौसम विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में जून से सितम्बर के बीच मानसून की बारिश होती है। इस अवधि में प्रदेश में मानसून की सामान्य बारिश 829.8 मिलीमीटर होनी चाहिए। हाल के वर्षों में यह देखने में आया है कि यूपी में मानसून सामान्य रूप से नहीं बरस रहा। हाल के वर्षों में प्रदेश में मानसून की बारिश के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2023-24 में यहां सामान्य बारिश की तुलना में 71 प्रतिशत यानि 829.8 मिलीमीटर के मुकाबले 589.3 मिमी. हुई थी। 2022-23 में इस अवधि में प्रदेश में 829.8 मिमी सामान्य वर्षा के मुकाबले 514.3 यानि 62 प्रतिशत, 2021-22 में 87.5 प्रतिशत यानि 829.8 मिमी के सापेक्ष 726 मिमी और 2020-21 में 640.2 मिमी. यानि 77.2 प्रतिशत बारिश हुई थी।
इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद
घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहे भारत के मौसम विज्ञानियों ने कहा है कि जून-अगस्त तक ‘ला नीना’ की स्थितियां बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस वर्ष मानसूनी बारिश पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर होगी।
अल नीनो की वजह से बढ़ी गर्मी
‘अल नीनो’ इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। अल नीनो इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं।