UP Rain Update: मौसम विभाग ने आगामी आठ जुलाई तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में कहीं भारी तो कहीं बहुत भारी बारिश होने का अनुमान जताया है। पांच व छह जुलाई को बहुत भारी होने का आरेंज अलर्ट भी जारी किया गया है। हालांकि बारिश से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। गुरुवार को मानसून की ट्रफ लाइन बीकानेर, चुरु, उरई और पुरुलिया से होकर गुजर रही थी। बीते 24 घंटों के दौरान राज्य में सबसे अधिक 21 सेंटीमीटर बारिश बाराबंकी के रामनगर में दर्ज की गयी।
इसके अलावा झांसी के टेहरौली में 19, बस्ती के भानपुर, बस्ती के ही रुधौली में 17-17, बाराबंकी के फतेहपुर में 12, संतकबीर नगर के घनघटा व हरदोई में 11-11, फिरोजाबाद के जसराना, महाराजगंज के फरेंदा, हरदोई, सिद्धार्थनगर के बांसी में 10-10, खीरी के पलियाकलां व बलिया में नौ-नौ, सिद्धार्थनगर के बांसी व उसका बाजार, आजमगढ़, गोरखपुर के रिगोली, वाराणसी में आठ-आठ, बलरामपुर के तुलसीपुर, सीतापुर, फर्रुखाबाद के डाबरी, हरदोई के सवायजपुर, मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा, मैनपुरी के घिरौर व एटा में सात-सात सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गयी।
यूपी पर मानसून मेहरबान, किसान तेजी से रोप रहे धान
यूपी पर मानसून मेहरबान है। किसान इन दिनों तेजी से धान की रोपाई करने में जुटे हुए हैं। कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सत्र में प्रदेश में 61 लाख 24 हजार हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य तय किया है जबकि 4 लाख 8 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी लगाई गई है। वैसे औसतन प्रदेश में 58 से 59 लाख हेक्टेयर के बीच धान की पैदावार होती है। राज्य के पूर्वी अंचल में सबसे अधिक 28 जिलों में धान की फसल ली जाती है जबकि पश्चिमी यूपी में बासमती धान पैदा होता है। मध्य यूपी के 11-12 जिलों में पूर्वांचल की ही तरह सामान्य व सुगंधित धान का उत्पादन होता है। प्रदेश में 36 कुंतल प्रति हेक्टेयर की दर से चावल की औसत पैदावार आंकी जाती है।
प्रदेश के सेवानिवृत्त कृषि उप निदेशक डा. सी.पी. श्रीवास्तव का कहना है कि उत्तर प्रदेश में 30 जून से मानसून सक्रिय हुआ है और राज्य के सभी अंचलों में इन दिनों अच्छी बारिश हो रही है। इस बारिश का पूरा लाभ उठाते हुए जुलाई के इस पहले सप्ताह में किसान पूरी तेजी से धान की रोपाई करने में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अगर अब मानसून की बारिश नहीं होती तो दिक्कत बढ़ जाती। मगर मानसून समय से सक्रिय हुआ है। उन्होंने बताया कि जैसा कि मौसम विभाग का अगले तीन से चार दिन पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान है तो ऐसे में इस सप्ताह के अंत तक 75 प्रतिशत धान की रोपाई पूरी हो जानी चाहिए। वैसे तो जुलाई के पहले सप्ताह से लेकर अंतिम सप्ताह तक धान की रोपाई होती है। उन्होंने आंशका जतायी कि आगे चलकर अगर मानसून की बारिश में लम्बे अंतराल आए तो फिर धान की फसल खराब हो सकती है, उस सूखे की स्थिति में किसान फिर धान के बजाए मोटे अनाज, तिल आदि की बोवाई पर आ जाते हैं।
इसे भी पढ़ें –