Saturday, November 23, 2024
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UP Politics, Lok Sabha Elections : अमेठी-रायबरेली में अब कांग्रेस की नहीं गलेगी दाल, गांधी परिवार का रोड़ा बना मोदी मन्त्र

UP Politics, Lok Sabha Elections : अमेठी-रायबरेली में अब कांग्रेस की नहीं गलेगी दाल, गांधी परिवार के लिए मोदी का मास्टरप्लान करायेगा कांग्रेस की बेज्जती आपको बता दें इसके लिए BJP तगड़ी चाल चल चुकी है। भाजपा लगातार इंडिया गठबंधन में दरार डालने का प्रयास कर रही है। अब अमेठी व रायबरेली में भी भाजपा ने मजबूत व्यूह रचना की है। यहां पर चुनावी मैदान में उतरना गांधी परिवार के लिए आसान नहीं है।

गांधी परिवार के लिए प्रदेश में सुरक्षित मानी जाने वाली अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं। अब इन दोनों सीटों पर गांधी परिवार की दस्तक आसान नहीं है। हालांकि बदली सियासी परिस्थितियों में कांग्रेस ने भी नए सिरे से मंथन शुरू कर दिया है। कांग्रेस नई रणनीति के तहत रायबरेली से प्रियंका गांधी के मैदान में नहीं उतरने पर दलित और अमेठी में ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा सकती है।

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रायबरेली सांसद सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने और रायबरेली की जनता को भावनात्मक चिट्ठी लिखने के बाद भाजपा सक्रिय हुई। सपा-कांग्रेस दोस्ती की वजह से गठबंधन इसे बहुत सकारात्मक नजरिए से देख रहा था। भाजपा ने कांग्रेस मुक्त यूपी के लिए इन दोनों ही सीटों को लेकर तगड़ी व्यूह रचना तैयार की। सपा विधायक मनोज पांडेय और राकेश प्रताप सिंह के जरिये दोनों सीटों पर एक तरफ मजबूत जातीय किलेबंदी की तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में दरार डालने की भी कोशिश की। इसी तरह राज्यसभा चुनाव में सपा विधायक महराजी देवी की अनुपस्थिति भी कम अहम नहीं मानी जा रही है।

ब्राह्मण और ठाकुर चेहरे से एक तीर से साधे कई निशाने

भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे के रूप में सपा के मुख्य सचेतक डाॅ. मनोज पांडेय और विधायक राकेश प्रताप सिंह के जरिये एक तीर से कई निशाने साधे हैं। नगर पालिका अध्यक्ष पद से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले मनोज पांडेय सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के विश्वासपात्र रहे। करीब 30 साल तक सपा के साथ रहते हुए वह तीन बार से लगातार विधायक हैं। मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे मनोज सपा संस्थापकों में शामिल जनेश्वर मिश्र और बृजभूषण तिवारी के नजदीकी रहे हैं। इन नेताओं के बाद सपा में मनोज ने ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान बनाई। यही वजह है कि धर्म के मुद्दे पर सपा नेताओं की ओर से की जा रही टिप्पणी का वो लगातार विरोध करते रहे। भाजपा ने उन्हें अपने खेमे में करके ब्राह्मण वोट बैंक साधने का प्रयास किया है। इसी तरह राकेश प्रताप सिंह भी गौरीगंज से तीसरी बार विधायक हैं। 2012 और 2017 में उन्होंने कांग्रेस और 2022 में भाजपा उम्मीदवार को हराया था। गौरीगंज विधानसभा भले ही अमेठी लोकसभा क्षेत्र में हैं, लेकिन उसकी सीमाएं रायबरेली से जुड़ी हैं।

कांग्रेस प्लान-बी पर मंथन को हुई मजबूर

अब बदले हालात में कांग्रेस ने नए सिरे से सियासी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार प्लान-बी के तहत संभावित चेहरे पर नजरें घुमाई जा रही हैं। अगर रायबरेली सीट से प्रियंका गांधी चुनाव न लड़ीं तो दलित चेहरे पर दांव लगाया जा सकता है। अमेठी में ब्राह्मण चेहरा उतारने की तैयारी है। रायबरेली और अमेठी की सियासत पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना का तर्क है कि अब युवा पीढ़ी की सोच बदल गई है। वह ऐसे जनप्रतिनिधि को पसंद करती है, जो लगातार अपने बीच रहे। स्मृति जूबिन इरानी लगातार अमेठी में बनी हैं, उन्होंने यहां अपना घर भी बना लिया है। जबकि दूसरी ओर लोकसभा चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने अमेठी की ओर देखा तक नहीं। करीब-करीब यही हाल सोनिया गांधी का भी रहा। प्रियंका गाहे-बगाहे यहां आती रही हैं। इसके अलावा दोनों सीटों से कांग्रेस नेतृत्व की दूरी को भी भाजपा मतदाताओं के बीच प्रचारित करती है और अब इसका फायदा लेने की कोशिश में है।

2022 की अपेक्षा अब बदल गई है सियासी तस्वीर

विधानसभा चुनाव वर्ष 2022 की तस्वीर देखें तो रायबरेली में भाजपा को सिर्फ एक और सपा को चार सीटें मिली थीं। मनोज पांडेय के साथ आने के बाद भाजपा के साथ सिर्फ दो विधायक नहीं हुए हैं, बल्कि ब्राह्मण वोटबैंक की गोलबंदी भी हुई है। रायबरेली संसदीय सीट पर सर्वाधिक करीब 34 फीसदी दलित हैं। ब्राह्मण करीब 11 फीसदी, ठाकुर करीब नौ फीसदी, यादव करीब 10 फीसदी और मुस्लिम मतदाता करीब नौ फीसदी हैं। अभी तक ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम और यादव कांग्रेस का कोर वोटबैंक रहा है। इसी तरह अमेठी लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों में 2022 के चुनाव में सपा को दो और भाजपा को तीन सीटें मिली थीं।

बदली सियासी परिस्थितियों में राकेश प्रताप सिंह भी अब भाजपा के साथ हैं। ऐसे में भाजपा की सीटों की संख्या चार हो गई है और सपा के पास सिर्फ एक विधायक महराजी देवी ही बची हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान उनकी अनुपस्थिति भी भाजपा के लिए सकारात्मक नजरिये से देखी जा रही है। यहां करीब 26 फीसदी दलित, 18 फीसदी ब्राह्मण, 11 फीसदी ठाकुर, 20 फीसदी मुस्लिम और 11 फीसदी यादव मतदाता हैं।

अमेठी में यूं गिरा कांग्रेस का जनाधार

वर्ष — कांग्रेस — भाजपा — बसपा
2009 — 71.78 — 5.81 — 14.57
2014 — 46.71 — 34.38 — 6.60
2019 — 43.84 — 49.71 — 00

रायबरेली में लगातार गिरा कांग्रेस का वोटबैंक

वर्ष — कांग्रेस — भाजपा — बसपा
2009 — 72.23 — 3.82 — 16
2014 — 63.80 — 21.05 — 7.71
2019 — 55.80 — 38.36 — 00

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Vinod Maurya
Vinod Maurya
Vinod Maurya has 2 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done B.Com in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ upbreakingnewshindi@gmail.com
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