जिले में सरकारी अस्पतालों के नाम पर फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र बना दिए जा रहे हैं। यह खुलासा तब हो रहा है जब उस प्रमाण-पत्र को लेकर लोग आधार बनवाने जा रहे हैं। प्रमाण-पत्र का क्यूआर कोड स्कैन न होने से आधार नहीं बन पा रहे हैं। बच्चों के अभिभावक परेशान हो रहे हैं। फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र के मामले में अभी हाल में ही एटीएस ने आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष के बेटे को पकड़ा था।
रानीगंज के रामगढ़ निवासी रामआसरे के बेटे नीशू गौतम का जन्म प्रमाणपत्र उनके परिजनों के मुताबिक रानीगंज में चिरकुट्टी के पास स्थित एक साइबर कैफे में बनाया गया था। किंतु जब आधार कार्ड बनवाने के लिए रानीगंज स्थित सेंटर पर गए तो क्यूआर कोड स्कैन नहीं हुआ। बताया गया कि जन्म प्रमाण-पत्र फर्जी है। प्रमाण-पत्र जिला अस्पताल के नाम से बनाया गया है।
केस-2
रानीगंज के अमहटा निवासी अब्दुल सत्तार शकूर की बेटी सुलताना का जन्म प्रमाण पत्र भी चिरकुट्टी के पास स्थित साइबर कैफे पर बनाया गया है। लेकिन जब परिजन आधार बनवाने के लिए रानीगंज स्थित आधार केंद्र पर गए तो उनके प्रमाण-पत्र का क्यूआरकोड स्कैन नहीं हुआ। लेकिन जिला महिला चिकित्सालय प्रतापगढ़ के नाम से बनाए गए प्रमाण-पत्र की आईडी अस्पताल में बनने वाले ओरिजनल जन्म प्रमाण पत्रों की आईडी से अलग है।
केस-3
रानीगंज के भूसलपुर निवासी अशोक तिवारी के बेटे अंकुश का जन्म प्रमाण पत्र प्रतापगढ़ में किसी साइबर कैफे में बना था। किन्तु रानीगंज में जब उनके परिजन आधार बनवाने पहुंचे तो वहां उनके जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी बताकर लौटा दिया गया। उनका जन्म प्रमाण पत्र कुंडा सीएचसी के नाम पर बनाया गया है।
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शासन से मिलता है विशेष आईडी नम्बर
कम्प्यूटर पर जन्म प्रमाण-पत्र बनाने के लिए शासन की ओर से विशेष आईडी नम्बर दिया जाता है। इसी से पोर्टल खोलकर ऑनलाइन बर्थडे सर्टिफिकेट बनाया जाता है। यह आईडी 1155 ग्राम पंचायत अधिकारियों, 19 नगर पालिका/पंचायत व 86 अस्पतालों को दी गई है। सबकी आईडी अलग-अलग है। चर्चा है कि आईडी पाने वाले उक्त में से कुछ लोग अपनी आईडी साइबर कैफे वालों को ‘किराए पर दे देते हैं। हालांकि इसकी पुष्टि करने को कोई तैयार नहीं।
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