Teacher Recruitment : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है. अब बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है. नई चयन सूची तैयार होने से पिछले 4 सालों से नौकरी कर रहे हजारों शिक्षक खत्म हो जाएंगे.
यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट की डबल बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी है. साथ ही सरकार को आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का आदेश दिया है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है.
अब बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है. नई चयन सूची तैयार होने से पिछले 4 सालों से नौकरी कर रहे हजारों शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी.
69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण अनियमितता का मामला लंबे समय से हाईकोर्ट में लंबित था. शिक्षक भर्ती में 19 हजार सीटों के आरक्षण को लेकर अनियमितता के आरोप लगे थे. इसमें विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कई लोग कोर्ट गए थे. 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण अनियमितता का मामला लंबे समय से हाईकोर्ट में लंबित था.
हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षकों की मौजूदा सूची को गलत मानते हुए मेरिट सूची को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है. इसमें आरक्षण के नियमों और बेसिक शिक्षा नियमावली के तहत करने के आदेश दिए गए हैं.
बता दें कि दिसंबर 2018 में जब यह मेरिट लिस्ट आई तो इस पर विवाद शुरू हो गया था. अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए थे. इसमें 19 हजार पदों को लेकर आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे. यूपी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती की थी और जनवरी 2019 में परीक्षा कराई गई थी. इस भर्ती में 4. 10 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था.
करीब 1.40 लाख अभ्यर्थी सफल हुए और मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई. मेरिट लिस्ट आते ही विवाद सामने आ गया, क्योंकि आरक्षण के चलते जिन अभ्यर्थियों का चयन तय माना जा रहा था, उनके नाम लिस्ट में नहीं थे. इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
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