प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वो हिन्दू-मुसलमान नहीं करेंगे, ये उनका संकल्प है। उन्होंने कहा कि जिस दिन वो हिन्दू-मुस्लिम करेंगे उस दिन वो सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रह जाएंगे। वाराणसी में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन से पहले एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि वो जहां पले-बढ़े हैं वहां उनके कई पड़ोसी मुस्लिम हैं। ईद के दिन उनके घर में खाना नहीं बनता था क्योंकि मुस्लिम परिवारों के घर से उनके यहां खाना आता था। मोदी ने मुहर्रम का जिक्र करते हुए कहा कि बचपन में वो घर के सामने से जा रहे ताजिया के नीचे से अनिवार्य रूप से निकलते थे।
21 अप्रैल को एक रैली में दिए उनके बयान पर सवाल पूछा था, जिसमें उन्होंने कहा था- “पहले जब कांग्रेस की सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकठ्ठी कर किसको बांटेंगे, जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे। घुसपैठियों को बांटेंगे। क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा। आपको मंजूर है ये। ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है। माताओं और बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उस की जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बांट देंगे। और उनको बांटेंगे, जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “मैं हैरान हूं। किसने आपको कहा, जब ज्यादा बच्चों की बात होती है तो मुसलमान का नाम जोड़ देते हैं। क्यों मुसलमान के साथ अन्याय करते हैं। हमारे यहां गरीब परिवारों में भी ये हाल है। बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे हैं। किसी भी समाज के हों, गरीबी जहां है, वहां बच्चे भी ज्यादा हैं। मैंने ना हिन्दू कहा है, ना मुसलमान कहा है।
मुसलमानों का वोट मिलने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- “मेरे देश के लोग मुझे वोट देंगे। मैं जिस दिन हिन्दू-मुसलमान करूंगा ना, उस दिन मैं सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा। मैं हिन्दू-मुसलमान नहीं करूंगा, ये मेरा संकल्प है। अगर मैं घर देता हूं तो 100 प्रतिशत डिलीवरी की बात करता हूं।
बचपन से मुसलमानों से अपने जुड़ाव को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा- “मेरा जो घर है, अगल-बगल सारे मुस्लिम परिवार हैं। हमारे घर में ईद भी मनती थी, हमारे घर में और त्योहार होते थे। मेरे घर में ईद के दिन खाना नहीं पकता था। सारे मुस्लिम परिवारों से मेरे यहां खाना आ जाता था। जब मोहर्रम निकलता था, तो हम अनिवार्य तौर पर ताजिए के नीचे से निकलते थे।
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