स्लाटर हाउस का खेल उजागर होने के बाद योगी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का असर साफ दिखा। यूपी के तीन बूचड़खाने (स्लाटर हाउस) को अवैध तरीके से दी गई एनओसी वापस होगी। इनमें दो बूचड़खाने उन्नाव और एक गाजियाबाद का है। इन बूचड़खानों को राज्य स्तरीय समिति की स्वीकृति बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एनओसी जारी कर दी गई थी।
मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद अब बोर्ड से लेकर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तक हड़कंप मचा है। कइयों पर गाज गिर चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन बूचड़खानों को भी नोटिस थमा चुका है। उनकी एनओसी निरस्त करने की तैयारी है।
योगी सरकार ने प्रदेश में तमाम अवैध बूचड़खानों पर रोक लगा दी थी। वहीं, स्लाटर हाउस का लाइसेंस मिलने की प्रक्रिया भी आसान नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर इन अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसने का जिम्मा था, मगर बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया। UP Electricity Bill News: बिजली बिल न चुकाने वालों के घर अधीक्षण अभियंता का बड़ा निर्देश
इस खेल का खुलासा बीते दिनों तब हुआ जब मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक जा पहुंचा। मामला उन्नाव के एओवी प्राइवेट लिमिटेड व अलहक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और गाजियाबाद के अल नासिर स्लाटर हाउस की एनओसी से जुड़ा था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियमों को दरकिनार करके इन्हें एनओसी जारी कर दी गई थी।
कइयों पर गाज, कार्रवाई का सिलसिला जारी
शिकायत पर इस मामले में जांच शुरू की गई। बोर्ड के पांच सदस्यीय दल ने पूरे मामले की जांच की तो सारी कलई खुल गई। इस मामले में बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी (प्रशासन) विवेक राय और क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अनिल माथुर को निलंबित किया जा चुका है जबकि बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह, उनके प्रधान निजी सचिव राजीव कुमार और सचिव आशीष तिवारी को हटाया जा चुका है। UP news : यूपी पुलिस बनकर गहने उतरवा रहा ईरानी गैंग, आप भी हो जाएं सावधान
अभी और भी कार्रवाई हो सकती है। बोर्ड से जुड़े सूत्रों की मानें तो नोटिस के बदले स्लाटर हाउस संचालकों द्वारा दिए गए जवाब संतोषजनक नहीं मिले हैं। ऐसे में तीनों बूचड़खानों की एनओसी निरस्त किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।