उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान होगा। कांग्रेस इस उपचुनाव से बाहर रहकर सपा का समर्थन कर रही है। मुख्य रूप से भाजपा, सपा व बसपा मैदान में हैं। बसपा ने उपचुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर उम्मीदवार उतारते हैं।
अब देखने वाला होगा कि बसपा अपने रणनीति में कितना सफल होती है। उसके लिए यह उपचुनाव कई मायनों महत्वपूर्ण है। पहला, उसे मत प्रतिशत बढ़ाते हुए यह साबित करना होगा कि उसका वोट बैंक आज भी उसके साथ है, दूसरा यह कि मीरापुर व कुंदरकी में उनके मुस्लिमों उम्मीदवारों को कितना पसंद किया गया।
बसपा ने कटेहरी से अमित वर्मा, फूलपुर से जितेंद्र कुमार सिंह, मीरापुर से शाहनजर, सीसामऊ वीरेंद्र कुमार शुक्ला, करहल डा. अवनीश कुमार शाक्य, कुंदरकी रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा, गाजियाबाद परमानंद गर्ग, मझवां दीपक तिवारी और खैर से डा. पहल सिंह उम्मीदवार हैं। पिछले कुछ चुनावों को देखा जाए तो बसपा के लिए अच्छा नहीं रहा है। उसका वोट बैंक लगातार गिर रहा है।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 22.23 प्रतिशत और वर्ष 2022 में 12.88 फीसदी मत उसे मिले थे। दो लोकसभा चुनावों की बात करें तो वर्ष 2019 में 19.43 प्रतिशत और वर्ष 2024 में 9.35 प्रतिशत मत मिले।
बसपा का मत प्रतिशत गिरने के बाद यह चर्चाएं शुरू हो गईं कि उसका कोर वोट बैंक उसका साथ छोड़ रहा है। हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार यह कहती आ रही हैं कि सोशित व वंचित समाज के लोग आज भी उसके साथ वैसे ही जुड़े हुए हैं। अब देखना होगा कि विधानसभा उपचुनाव में उसके लिए कितना लाभदायक साबित हुआ। उपचुनाव वाली सीटों पर विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा तीसरे और चौथे स्थान पर रही थी। सिर्फ खैर सीट पर ही वह दूसरे नंबर पर पहुंची थी।