अखिलेश यादव ने लखनऊ में सपा कार्यालय पर महसी क्षेत्र के भेड़िए हमले से पीड़ित परिजनों से गुरुवार को मुलाकात की। सपा प्रतिनिधि मंडल के साथ पीड़ित लखनऊ गए हुए थे। सपा मुखिया ने पीड़ितों के मुआवजे को लेकर योगी सरकार पर तंज कसा तो हमले के शिकार मृतकों और घायलों की आंकड़ेबाजी में खेल करने का भी आरोप लगाया है। सपा की ओर से मरने वालों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। घायलों को 25-25 हजार रुपये की मदद दी गई। मृतकों में शायरा पुत्री साकिम उल्ला और छोटू पुत्र शकील को शासन की ओर से कोई मदद नहीं दी गई, उन्हें पीड़ित भी नहीं माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के आतंक से लोग डरे हुए हैं। बिजनौर, पीलीभीत, सीतापुर, लखीमपुर, बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर में जानवरों ने जंगलों से निकलकर लोगों पर हमला किया। बहराइच में 10 मृतक और लगभग 60 लोग घायल है। वन विभाग 14 और सरकारी अस्पतालों में 45 लोगों के इलाज की सूचना है। मृतक के आश्रितों और घायलों को मदद देने में भी जाति-धर्म देखकर पक्षपात और भेदभाव किया जा रहा है। दो परिवारों को जो एक विशेष समुदाय के हैं कोई मदद नहीं मिली। कहा गया कि भेडियों से हमले के शिकार उनके बच्चों के शव नहीं मिले। कम से कम गरीबों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
अखिलेश ने कहा कि हमले में अपने बच्चों को खोने वाले परिजनों को पांच के बजाय 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराया जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने मदद में भी हाथ सिकोड़ लिया है। हमले में 10 लोगों की मौत हुई है। 60 से अधिक ग्रामीण घायल हुए हैं, लेकिन सरकार के पास सिर्फ आठ के आंकड़े मृतकों व 16 घायलों के हैं। कहा कि हमले को छिपाने के साथ पीड़ितों को मुआवजा देने में भी सरकार आनाकानी कर रही है।
सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भेड़ियों को मारने के लिए एसटीएफ लगाने के बजाय जंगल काटने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद जंगल काटे जा रहे हैं जिसके चलते ऐसे हमले हो रहे हैं। हमले में जान गंवाने वाले बच्चों के परिजन व घायल गुरुवार को पूर्व मंत्री यासर शाह, सपा जिलाध्यक्ष रामहर्ष यादव, पूर्व विधायक केके ओझा, पूर्व विधायक रमेश गौतम, जिला उपाध्यक्ष अनिल यादव देवेश चंद मिश्रा के साथ उनसे मिलने पर लखनऊ पहुंचे थे।
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