उत्तर प्रदेश में लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक के पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया है। यह विज्ञापन भी कहीं और नहीं सीएम योगी के जिले गोरखपुर में निकला है। इसे लेकर गुरुवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश के बाद आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष सांसद चंद्रशेखर ने भी इसे पिछड़ों और दलितों के साथ धोखा बताया है।
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि- ‘बेहतर होगा कि भाजपा पूरी की पूरी सरकार ही आउटसोर्स कर दे तो उसका एक जगह से ही सारा कमीशन, एक साथ सेट हो जाए। ऐसा करने से भाजपा को फुटकर में नौकरी और उसके बहाने आरक्षण को खत्म करने का महाकष्ट नहीं उठाना पड़ेगा। हम तो हमेशा से कहते रहे हैं, आज फिर दोहरा रहे हैं। नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। आउटसोर्सिंग PDA के खिलाफ एक आर्थिक साजिश है। भाजपा इस प्रस्ताव को तत्काल वापिस करे और नौकरी-आरक्षण का सांविधानिक हक न छीने।’
अखिलेश यादव के बाद सांसद चंद्रशेखर ने सरकार पर हमला बोला। चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री के ‘बँटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को इससे जोड़ते हुए कहा कि अगर हम इस नारे को दूसरे तरीके से लें तो यह दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए संदेश है कि अगर वे बंटे तो यहां से लेकर दिल्ली तक उनके अधिकारों में कटौती की जाएगी। देश की 6,743 पिछड़ी जातियां बंटी हुई हैं। अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर इस समस्या को खत्म करें। इस नारे की प्रक्रिया गोरखपुर से ही शुरू हुई है, जहां पटवारी, कानूनगो आदि के पदों को ‘आउटसोर्स’ किया जाएगा।
गौरतलब है कि गोरखपुर नगर निगम ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से रिटायर्ड अफसरों और कर्मचारियों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। इसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षकों और लेखपालों की भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए करने की बात कही गई है। चारों पदों पर नौ लोगों की नियुक्त के साथ अलग अलग दरों से फिक्स सेलरी दी जाएगी।
नगर निगम के विज्ञापन में जिक्र है कि तहसीलदार पद पर नियुक्त व्यक्ति को 35 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाएगा। नायब तहसीलदार को 30 हजार, राजस्व निरीक्षक को 29 हजार और लेखपाल को 27 हजार रुपये सैलरी देने की बात कही गई है।
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