Tuesday, November 26, 2024
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राहुल गांधी को क्यों छोड़ना पड़ा अमेठी? क्या रायबरेली से जीत जायेंगे

अमेठी और रायबरेली सीट पर उम्मीदवारी को लेकर पिछले कुछ दिनों से काफी उहापोह और सस्पेंस बरकरार था। कांग्रेस ने उस पर से पर्दा तो उठा दिया है लेकिन एक नया सस्पेंस भी पैदा कर दिया कि क्या रायबरेली से चुनाव जीतने के बाद राहुल इस सीट को खाली कर देंगे? और उप चुनाव के जरिए बहन प्रियंका को यहां से जिताकर संसद भेजेंगे? पार्टी महासचिव जयराम रमेश के ट्वीट से भी यही संकेत निकल रहे हैं।

राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन दाखिल कर दिया है। यह सीट गांधी परिवार की पुश्तैनी और पारंपरिक सीट रही है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी लगातार 20 सालों तक यहां से सांसद रहीं। वह अब राज्यसभा की सदस्य हैं। एक तरह से कहें तो राहुल अगर रायबरेली से जीतते हैं तो यहां भी वह अपनी मां से सियासी विरासत की डोर अपने हाथों में लेंगे। इससे पहले 2004 में भी वह अपनी मां की सिसासी विरासत की डोर पकड़कर अमेठी से पहली बार सांसद बनकर संसद भवन पहुंचे थे।

रायबरेली सीट पर सोनिया से पहले उनकी सास और भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनसे पहले इंदिरा के पति और राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी यहां से पहले दो चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी को इस सीट पर मुंह की खानी पड़ी थी लेकिन 1980 में जब फिर से चुनाव हुए तो उन्होंने प्रचंड जीत दर्ज की थी।

कांग्रेस की रणनीति क्या

बदली राजनीतिक परिस्थितियों में सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर कांग्रेस की रणनीति क्या है, जो राहुल को अमेठी छोड़ना पड़ा और फिर से मां की विरासत की सियासत की डगर पकड़नी पड़ी है। जानकार कह रहे हैं कि ऐसा कदम उठाकर कांग्रेस और राहुल गांधी ने दो बड़ा और सुरक्षित दांव खेला है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल पर कटाक्ष कर रहे हैं कि डरो मत।

छीन लिया स्मृति ईरानी और भाजपा का सुनहरा मुद्दा

भाजपा की फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की एक पहचान और राजनीति में उनके दबदबे का एक पहलू यह भी है कि उन्होंने गांधी के गढ़ अमेठी में जाकर राहुल गांधी को हराया है। दूसरी बात यह कि जब कभी मौका मिला है, वह राहुल गांधी पर दोगुनी ताकत लगाकर हमला करती रही हैं लेकिन 2024 के चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को न उतार कर कांग्रेस ने भाजपा और स्मृति ईरानी का वह गोल्डन दांव बेकार कर दिया है।

अगर इस सीट से राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ते और वह हार जाते तो भाजपा और ईरानी का सियासी सिक्का और चमक उठता कि उन्होंने लगातार दूसरी बार गांधी परिवार और राहुल को शिकस्त दी है। इससे गांधी परिवार और कांग्रेस के खिलाफ देश में खराब संदेश भी जाता। अब किशोरी लाल शर्मा के हराने से ना तो स्मृति ईरानी को वह ख्याति और प्रसिद्धि मिल सकेगी और न ही पोलिटिकल माइलेज।

कार्यकर्ताों को नया संदेश देने की कोशिश

अगर किशोरी लाल शर्मा अमेठी सीट से जीत जाते हैं तो भाजपा और देश को बड़ा संदेश जाएगा कि कांग्रेस के एक छोटे से कार्यकर्ता ने भाजपा की कद्दावर मंत्री और पीएम मोदी की करीबी स्मृति ईरानी को हरा दिया है। दूसरी बात कि कांग्रेसियों में एक अलग संदेश गया है कि गांधी परिवार अपने गढ़ में भी एक सामान्य कार्यकर्ता और पार्टी के वफादार को अपनी विरासत की कुंजी सौंप सकता है। माना जा रहा है कि शर्मा के उतरने से अमेठी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में पहले थोड़ी निराशा थी लेकिन पार्टी ने अब उन्हें नया और सकारात्मक संदेश भेजा है।

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Vinod Maurya
Vinod Maurya
Vinod Maurya has 2 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done B.Com in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ upbreakingnewshindi@gmail.com
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