Gyanvapi Latest update on Gyanvapi: ज्ञानवापी के मुकदमों की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह सवाल कई बार आया कि आखिर किसके आदेश पर ज्ञानवापी में बैरिकेडिंग की गई और ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार पर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन पर रोक लगी। इस सवाल का जवाब कभी सामने नहीं आ सका। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता कहते हैं कि इस बारे में कोई लिखित आदेश नहीं है।
Varanasi Gyanvapi: ज्ञानवापी के मुकदमों की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह सवाल कई बार आया कि आखिर किसके आदेश पर ज्ञानवापी में बैरिकेडिंग की गई और ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार पर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन पर रोक लगी। इस सवाल का जवाब कभी सामने नहीं आ सका।
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन कहते हैं कि इस बारे में कोई लिखित आदेश नहीं है। व्यास जी के तलगृह को लेकर दिए गए आदेश में हाई कोर्ट ने भी उल्लेख किया है कि 1993 से राज्य सरकार का व्यास परिवार तभा भक्तों को पूजा-अनुष्ठान करने से रोकना गलत था।
विष्णु शंकर जैन का कहना है कि मामले की सुनवाई की दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर के समक्ष भी यह सवाल उठा था कि किसके आदेश पर ज्ञानवापी में बैरिकेडिंग और मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन पर रोक लगाई गई थी। यूपी सरकार के तत्कालीन अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने अदालत को बताया था कि इस बारे में कोई लिखित आदेश नहीं है।
1993 की कई बैरिकेडिंग
वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में भी सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकीलों ने जानकारी दी थी 1993 तक भूखंड आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी) में मौजूद देवी-देवताओं की नियमित पूजा-पाठ होती रही है। छह दिसंबर, 1992 को ढांचा ध्वंस के बाद 1993 में यहां पहले बांस-बल्ली और इसके बाद लोहे की ऊंची बैरिकेडिंंग करा दी गई।