Saturday, November 23, 2024
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देश में पहली बार हुआ बड़ा कारनामा! आंख की लाइलाज बीमारियों से भी ठीक होने लगे रोगी

जीएसवीएम की बड़ी उपलब्धि: आंख के पर्दे की दो लाइलाज बीमारियों के रोगी स्टेम सेल थेरेपी से ठीक होने लगे हैं। थेरेपी से हेरिडो मैकुलर व ड्राई एएमडी के रोगियों की आंखों में रोशनी आ गई।

आंख के पर्दे (रेटिना) के अहम हिस्से मैकुला में खराबी आने के कारण लाइलाज अंधता के रोग में भी स्टेम सेल थेरेपी से रोशनी की किरण फूटी है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में दो रोगियों पर किया गया इसका प्रयोग कामयाब रहा है। रोगियों की आंखों में रोशनी आने के संकेत मिले हैं। नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. परवेज खान का दावा है कि ये देश के पहले केस हैं। अभी तक हेरिडो मैकुलर और ड्राई एएमडी रोग को लाइलाज माना जाता है।

इस दोनों मर्ज के रोगियों में स्टेम सेल थेरेपी का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। असर जरूर धीरे-धीरे हुआ लेकिन रोगियों को एक-दो फुट तक नजर आने लगा है। मैकुला के एक रोगी वीरेंद्र जैन 80 वर्ष के हैं। उम्र की वजह से इनकी आंख में ड्राई ऐज रिलेटेड मैकुला डिजनरेशन (एएमडी) हो गया। इनके एक आंख की रोशनी बिल्कुल चली गई। डॉ खान ने बताया कि उम्र की वजह से मैकुला सूखने लगता है। रोशनी की खत्म हो जाती है।

इसका इलाज नहीं है। रोगी जैन की खराब आंख में स्टेम सेल प्लांट किया गया। एक महीने के बाद उन्हें एक से दो फुट के बीच नजर आने लगा। झांसी में तैनात 35 वर्षीय डॉक्टर मैकुला के दूसरे रोगी हैं। इनकी आंख मैकुला जेनेटिक बीमारी हेरिडो मैकुलर की वजह से खराब हो गई थी। इस जेनेटिक बीमारी से मैकुला बचपन से ही धीरे-धीरे खराब होने लगती है। डॉ. खान ने बताया कि इस रोगी को भी फायदा हो रहा है।

उनकी रोशनी हल्की सी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि मैकुला के रोगों में ये दोनों देश के पहले मामले हैं। इनके पहले ड्राई एएमडी और हेरिडो मैकुलर के किसी भी रोगी को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट नहीं किया गया। यह पहला प्रयोग था जिसमें सफलता मिली है। अभी एक महीने में इतना रिजल्ट आया है। इसके बाद भी स्टेम सेल का असर बढ़ता रहेगा।

रेटिना कॉंफ्रेंस में हुई स्टेम सेल पर चर्चा

चेन्नई स्थित शंकर नेत्रालय में अंतरराष्ट्रीय रेटिना कॉंफ्रेंस का आयोजन 30 जून और पहली जुलाई को किया गया। इसमें नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज खान ने शिरकत की। कांफ्रेंस में डॉ. खान ने इन केसों के संबंध में विशेषज्ञों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमेरिका में बाल्टीमोर स्थित जॉन हॉपकिंस इंस्टीट्यूट में डॉ. मंदीप स्टेम सेल पर काम कर रहे हैं और बंगलुरू में आई स्टेम संस्थान में काम चल रहा है। इसके अलावा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में काम हो रहा है।

ड्राई ऐज रिलेटेड मैकुला डिजनरेशन (एएमडी)

यह समस्या उम्र से जुड़ी है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि से समस्या होने लगती है। हैलट में इसके औसतन सौ रोगी महीने में आ जाते हैं।

हेरिडो मैकुलर

यह जेनेटिक बीमारी है। इसके रोगियों की संख्या कम है। हैलट के नेत्र रोग विभाग में इस रोग के औसतन 30 रोगी महीने में आ जाते हैं।

Vinod Maurya
Vinod Maurya
Vinod Maurya has 2 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done B.Com in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ upbreakingnewshindi@gmail.com
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