Saturday, November 23, 2024
HomeलखनऊLok Sabha Chunav 2024 : क्या यूपी में फिर होगा विपक्ष का...

Lok Sabha Chunav 2024 : क्या यूपी में फिर होगा विपक्ष का बुरा हाल, जानिए कैसा है up का चुनावी माहौल

Lok Sabha Chunav 2024 में विपक्ष अगर एकजुट भी हो जाता है तो भी उसे बीेजपी को हराने के लिए पूरा दम लगाना होगा। पढ़िए लालमनी वर्मा की ये रिपोर्ट।

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दल इस बार दमदार तैयारी करते नजर आ रहे हैं। एक हफ्ते पहले बिहार की राजधानी पटना में हुई बैठक कई बड़े विपक्षी दलों ने अगला चुनाव एकसाथ लड़ने का ऐलान किया। यह ऐलान करने वालों में यूपी के पूर्व सीएम और सपा के मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल थे। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं।

अगर पिछले दो लोकसभा चुनावो के रिजल्ट पर नजर डालें तो स्पष्ट नजर आता है कि बीजेपी ने अन्य सभी दलों को धो दिया। 2014 में जहां बीजेपी को 71सीटें मिलीं तो 2019 में वह 62सीटों पर अपना परचम लहराने में सफल रही। पटना में हुई विपक्षी दलों की मीटिंग में मायावती शामिल नहीं हुई थीं। उन्होंने मीटिंग के बाद विपक्ष से यूपी के लेकर उनके प्लान के बारे में सवाल किया।

इसे भी पढ़ें – Team India: इन 3 खिलाड़ियों टीम इंडिया से घर वापसी, अपने होम ग्राउंड पर मैच के दौरान लाते थे भूचाल

दरअसल पटना में विपक्षी दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है। यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को 18.11 फीसदी वोट मिला था, इस चुनाव में सपा और बसपा साथ थे। अकेले चुनाव लड़ी कांग्रेस को 6.36 फीसदी वोट मिले थे। सपा द्वारा दी गई सीटों पर चुनाव लड़ने वाली RLD का वोट महज 1.68 फीसदी रहा था।

पटना में विपक्षी मीटिंग करवाने वाली जेडीयू को यूपी में महज 0.01 फीसदी वोट मिला था। बात अगर अखिलेश के चाचा की पार्टी प्रसपा की करें तो उसे वोट तो सिर्फ 0.3 फीसदी मिले थे लेकिन उनकी वजह से सपा अपने गढ़ फिरोजाबाद को हार गई। पिछले साल शिवपाल ने अपनी पार्टी का सपा में विलय कर दिय। बसपा को 2019 के चुनाव में 19.42 फीसदी वोट मिले थे।

अब अगर बसपा को छोड़कर यूपी में सभी विपक्षी पार्टियों का वोट मिला दिया जाए तो यह 26.46 फीसदी हो जाता है, यह बीजेपी गठबंधन को मिले 51.18 फीसदी वोट से तकरीबन आधा है। बीजेपी को यूपी में 49.97 फीसदी वोट मिले थे। अगर 2019 में सभी विपक्षी पार्टियों के वोट (बसपा का भी) को भी मिला दिया जाए तो भी बीजेपी का वोट शेयर उनसे ज्यादा नजर आता है।

अब बात करते हैं साल 2014 में लोकसभा चुनाव की। इस चुनाव में सपा, बसपा और रालोद अलग-अलग चुनाव लड़े थे। इन तीनों दलों को मिले वोट को अगर मिला दिया जाए तो यह 42.98 फीसदी हो जाता है। तब यूपी में बीजेपी को अकेले ही 42.63 फीसदी वोट हासिल हुआ था।

इसके बाद साल 2018 में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली सफलता को देखते हुए सपा-बसपा ने 2019 का चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया था। सपा-बसपा के साथ आने पर 2019 में बीजेपी की सीटें जरूर कम हुईं लेकिन बीजेपी का वोट शेयर बढ़ गया।

इसे भी पढ़ें – “बार-बार बिजली कटने पर हुआ हंगामा” कानपुर में एनआरआई(NRI) सिटी में बिजली संकट को लेकर सड़क पर उतरे लोग

लाभार्थी क्लास से बीजेपी को उम्मीद

अब बात करते हैं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की। इस बार बीजेपी ‘लाभार्थी क्लास’ पर दांव खेल रही है। बीजेपी की नजर सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं का फायदा लेने वालों पर है। इन योजनाओं में फ्री हाउसिंग, फ्री राशन, टायलेट्स, हेल्थ कार्ड्स, एलपीजी कनेक्शन और फ्री मोबाइल व टैबलेट पाने वाले शामिल हैं।

बीजेपी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यूपी में करीब 11 करोड़ लाभार्थी हैं। इनमें एक अच्छी संख्या मुस्लिम, जाटव, दलित और यादव वोटरों की है। पार्टी इनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें भी नहीं रखती है। बीजेपी को उम्मीद है कि लाभार्थियों में से करीब 1 करोड़ उन्हें चुनाव में वोट करेंगे। अगर पसमांदा मुसलमानों ने बीजेपी को सपोर्ट किया तो यह नंबर बढ़ भी सकता है। उन्हें बीजेपी सरकार की योजनाओं से फायदा मिला है और बीजेपी ने उन्हें विधान परिषद में भी प्रतिनिधित्व दिया है।

यूपी में बीजेपी पहले से अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन में है। बीजेपी को उम्मीद है कि दोबारा ओपी राजभर की पार्टी से गठबंधन होने पर उन्हें नॉन-यादव ओबीसी वोटरों से अच्छा समर्थन मिलेगा।

इसे भी पढ़ें – Glowing Skin Best Tips: ग्लोइंग स्किन के लिए फेस पर लगाएं इन 3 फूलों से बने फेस पैक्स, चेहरा हो जायेगा जैसे गुलाब

इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से आंकड़ों के विपक्षी गठबंधन के फेवर में न होने को लेकर सवाल पर सपा प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने कहा, “सपा संविधान, अर्थव्यवस्था और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को नष्ट करने वाली ताकतों को हराने के लिए अपना हरसंभव प्रयास कर रही है। अब, यह अन्य दलों (बसपा) पर है कि वे ऐसी संविधान विरोधी ताकतों को हराने के लिए विपक्षी एकता के साथ जुड़ें।”

RLD की व्यापारियों की विंग के स्टेट प्रेजिडेंट रोहित अग्रवाल ने कहा कि जनता बीजेपी से निराश है और विकल्प तलाश रही है। पटना में हुई बैठक उस विकल्प को विकसित करने, मतदाताओं के बीच विश्वास पैदा करने और वोटों के विभाजन को रोकने की दिशा में एक कदम था। 2024 से पहले और बैठकें आयोजित की जाएंगी और आने वाले दिनों में विपक्षी गठबंधन में और अधिक दलों के शामिल होने की उम्मीद है।

इसे भी पढ़ें – ईशा गुप्ता का पटाका लुक देखकर दे बैठोगे जान, नए लुक में ढाया कहर

Vinod Maurya
Vinod Maurya
Vinod Maurya has 2 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done B.Com in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ upbreakingnewshindi@gmail.com
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments